विज्ञान संचारक रश्मी श्योराण आई आई टी गांधीनगर में पृथ्वी पर ऋतुओं पर एक इंस्टाग्राम रील की शूटिंग करते हुए। श्रेय: विनोद घुटुकडे

विज्ञान कक्षाओं से लेकर नागरिक विज्ञान तक, वैज्ञानिक मोबाइल फोन की विविध संभावनाओं का उपयोग कर रहे हैं

स्मार्टफोन भारत जैसे देशों में प्रौद्योगिकी की छलांग का एक बड़ा उदाहरण है, जहां अधिकांश फोन उपयोगकर्ताओं के पास कभी लैंडलाइन नहीं थी। विकासशील देशों में किफायती मोबाइल फोन की बढ़ती पहुंच अब वैज्ञानिकों के लिए प्रयोगशाला, क्षेत्र या घर से काम करते समय सार्थक और समय पर शोध करना संभव बना रही है।

नेचर इंडिया की 'मोबाइल की दुनिया' (Our mobile world) पॉडकास्ट श्रृंखला उन कई तरीकों पर नज़र डालती है जिनसे स्मार्टफोन ने भारत में विज्ञान और समाज के बीच की गतिशीलता और शोधकर्ताओं के काम करने के तरीके को बदल दिया है। हम भारत में विज्ञान और अनुसंधान के प्रवर्तक के रूप में स्मार्टफोन से लेकर डिजिटल स्वास्थ्य, डिजिटल निरक्षरता, मोबाइल ई-कचरे पर अनुसंधान, डिजिटल विभाजन और चिकित्सा, कृषि और शासन में नवाचार जैसे विषयों पर विचार कर रहे हैं। हमने मुख्य रूप से भारत से कहानियाँ चुनी हैं, लेकिन हमारे पास वैश्विक दक्षिण के अन्य देशों से भी उदाहरण हैं।

इस एपिसोड में हम चर्चा करेंगे कि मोबाइल फोन विज्ञान शिक्षा और विज्ञान संचार को कैसे बदल रहे हैं।

होस्ट: सुभ्रा प्रियदर्शिनी, प्रोडक्शन और स्क्रिप्ट: अरोमा वारसी, साउंड एडिटिंग: प्रिंस जॉर्ज