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जब हम वैज्ञानिकों की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में क्या आता है? टेस्ट ट्यूब, पेट्री डिश, एक पुरानी और ऊब लैब में सफेद लैब कोट? चलिए आपको "वैज्ञानिक और उनके अनोखे कर्मक्षेत्र" की इस पॉडकास्ट श्रृंखला में उन वैज्ञानिकों के जीवन से रूबरू करवाते हैं, जो अनूठे स्थानों पर काम करते हैं - जो पॉपुलर स्टीरियोटाइप्स से दूर हैं। इस श्रृंखला हम ऐसे वैज्ञानिकों के साथ आपका परिचय कराएंगे जो अपरम्परागत स्थानों पर काम करते हैं।
होस्ट: सुभ्रा प्रियदर्शिनी, प्रोडक्शन और स्क्रिप्ट: अरोमा वारसी, साउंड एडिटिंग: प्रिंस जॉर्ज
doi: https://doi.org/10.1038/d44151-023-00023-1
Transcript
क्यों सड़क पर कुत्तों को खाना खिलाने से मनुष्यों और कुत्तों में संघर्ष असल में बढ़ सकते हैं, और क्यों जहाँ-तहाँ पेड़ लगाना बेतुका है
पेड़ों की टहनियाँ हों या मोटे तने हों, पहाड़ों की गुफाएं हों या चट्टानों की ओट, पेड़ों से घिरा मैदान हो या घनी झाड़ियाँ, पानी का जमाव हो या तेज बहती नदियाँ ― जंगली जानवर हर जगह पाए जाते हैं। और तभी वैज्ञानिकों के लिए जानवरों के अद्भुत जीवन के बारे में और अनुसंधान के लिए, यह पूरा पारिस्थितिकी तंत्र उनका कर्म क्षेत्र बन जाता है।
आज, "वैज्ञानिक और उनके अनोखे कर्मक्षेत्र" की इस कड़ी में, मैं बात करने जा रही हूँ, अबी तमिम वनक से जो पशु पारिस्थितिकीविद और संरक्षण जीवविज्ञानी हैं। उनका शोध मनुष्यों, घरेलू पशुओं और जंगली जानवरों के बीच संबंध और उन सभी के सह-अस्तित्व पर है।
(यह एपिसोड DBT Wellcome Trust India Alliance के समर्थन से तैयार किया गया है।)
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